Investment Tips | सार्वजनिक भविष्य निधि और राष्ट्रीय पेंशन योजना दीर्घकालिक निवेश योजनाएं हैं। दरअसल दोनों योजनाओं के उद्देश्य अलग-अलग हैं। एनपीएस पूरी तरह से सेवानिवृत्ति योजना है। इसमें पैसा लगाने के बाद 60 साल की उम्र के बाद हर महीने पेंशन मिलती है। पीपीएफ के जरिए पेंशन पाने के लिए आपको मैच्योरिटी के बाद भी अकाउंट जारी रखना होगा।
पीपीएफ और एनपीएस सबसे लोकप्रिय स्कीम :
भविष्य की वित्तीय जरूरतों के लिए सही विकल्पों में निवेश करना महत्वपूर्ण है। निवेश के लिए कई सरकारी योजनाएं हैं। हालांकि पीपीएफ और एनपीएस दो सबसे लोकप्रिय स्कीम हैं। ये स्कीमें अच्छे रिटर्न के साथ टैक्स डिडक्शन भी देती हैं। हालांकि, आइए देखते हैं कि इन दोनों योजनाओं में से कौन सी अधिक फायदेमंद है।
पीपीएफ और एनपीएस में क्या फरक है :
* पीपीएफ 100 प्रतिशत डेट निवेश है। यानी आपका पैसा बॉन्ड में खर्च होता है और एनपीएस के पास डेट और इक्विटी दोनों के शेयर हैं।
* एनपीएस निवेशकों के पास विकल्प है कि वे इक्विटी में अपना हिस्सा 75 प्रतिशत तक रख सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर निवेशक की रिस्क लेने की क्षमता ज्यादा है तो डेट और इक्विटी को 50-50 फीसदी पर रखा जा सकता है।
* एनपीएस मे लंबी अवधि के बाद 10 फीसदी तक का रिटर्न मिल सकता है। यही रिटर्न पीपीएफ में करीब 7.1 फीसदी पर मिल रहा है।
* एनपीएस में मैच्योरिटी के बाद भी एन्युटी में कम से कम 40 फीसदी हिस्सेदारी जमा करना अनिवार्य है। पेंशन वार्षिकी के माध्यम से सेवानिवृत्ति के बाद प्राप्त की जाती है।
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