ChatGPT Effects | ChatGPT जैसे AI-सक्षम स्मार्ट टेक प्लेटफॉर्म का चलन देश और दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया भर की सरकारें यह पता लगाने के लिए संघर्ष कर रही हैं कि इसे कैसे रोका जाए। भारत सरकार भी इससे अनजान नहीं है। सरकार इसके लिए नियामकीय ढांचा तैयार करने की योजना बना रही है। इस संबंध में जो भी कानून बनाया जाएगा वह अन्य देशों के कानूनों के अनुरूप होगा। संचार एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि एआई प्लेटफॉर्मका प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया भर के कई देश इस पर नजर बनाए हुए हैं। दुनियाभर के देशों के बीच चर्चा के बाद योजना तैयार करने की जरूरत है।
वैष्णव ने कहा कि पूरी दुनिया इसके लिए रूपरेखा और नियामकीय ढांचे पर चर्चा कर रही है। यह किसी एक देश का प्रश्न नहीं है। इसे अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में देखे जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विभिन्न देशों के बीच विचारों का आदान-प्रदान जारी रहेगा।
ChatGPT की बढ़ती लोकप्रियता
ChatGPT स्टार्टअप को कंपनी OpenAI द्वारा विकसित किया गया है। इसे पिछले साल के अंत में लॉन्च किया गया था और इसके पहले पांच दिनों में एक मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता थे। माइक्रोसॉफ्ट ने कंपनी में अरबों डॉलर का निवेश किया है। Google भी अपना स्वयं का जनरेटिव AI उपकरण BARD विकसित कर रहा है। लेकिन दुनिया भर के नियामक ऐसी प्रौद्योगिकियों की बढ़ती लोकप्रियता, स्वीकृति और बढ़ते अपनाने के बारे में चिंतित हैं। एआई का उपयोग लोगों को गुमराह कर सकता है, नकली समाचार फैला सकता है, कॉपीराइट का उल्लंघन कर सकता है, और लाखों नौकरियों के नुकसान का कारण बन सकता है। यही डर है।
यूरोपीय और अमेरिकी नियामक पहले से ही ऐसी स्मार्ट प्रौद्योगिकियों पर नकेल कसने के लिए कानून पर विचार कर रहे हैं। सोमवार को, ओपनएआई के सीईओ सैम अल्टमैन ने अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष अपनी प्रस्तुति में कहा कि शक्तिशाली एआई सिस्टम के जोखिमों को कम करने में सरकार की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी।
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