Mutual Fund SIP | क्या आप ऐसे निवेश विकल्पों की तलाश कर रहे हैं जिनमें आपको दो से तीन साल की अवधि में एफडी की तुलना में अधिक रिटर्न मिल सके? फिर, आप म्यूचुअल फंड में डेट फंड में निवेश करके अल्पावधि में अच्छा लाभ कमा सकते हैं। हालांकि, म्यूचुअल फंड निवेश पर टैक्स नियमों की जानकारी होनी चाहिए। सरकार भी इसे लेकर और सतर्क हो गई है क्योंकि हाल के दिनों में म्यूचुअल फंड में निवेश का चलन बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है।
क्या बजट में होगा म्यूचुअल फंड के नियमों में बदलाव?
पिछले कुछ सालों में मोदी सरकार ने म्यूचुअल फंड की कमाई पर टैक्स के नियमों को भी सख्त कर दिया था। लेकिन अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण म्यूचुअल फंड लोन योजनाओं के टैक्स नियमों में बदलाव कर सकती हैं, जिससे म्यूचुअल फंड डेट स्कीमों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023 में डेट योजनाओं के लिए पूंजीगत लाभ कर नियमों में बड़ा बदलाव किया था, जिससे डेट योजनाओं में निवेशकों की दिलचस्पी कम हो गई थी। हालांकि वित्तीय सलाहकारों का मानना है कि अगर सरकार लोन योजनाओं के टैक्स नियमों में बदलाव करती है तो डेट फंड्स में निवेश का आकर्षण बढ़ सकता है।
बजट 2023 में डेब्ट म्यूचुअल फंड के लिए कैपिटल गेन टैक्स नियमों में बदलाव 1 अप्रैल, 2023 से लागू हुआ और तब से सरकार ने नियमों में कोई बदलाव नहीं किया है। इस साल 23 जुलाई को पेश केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने विभिन्न परिसंपत्तियों पर दीर्घकालिक और अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर के नियमों में बदलाव की घोषणा की थी, लेकिन म्यूचुअल फंड लोन योजनाओं के पूंजीगत लाभ कर नियमों में कोई बदलाव नहीं किया था, जिससे डेट म्यूचुअल फंड निवेशकों को गहरी निराशा हुई।
बजट में राहत की उम्मीद
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देती है। लेकिन डेब्ट फंड्स के मामले में ऐसा नहीं लगता है। लोगों के लिए अपने निवेश का हिस्सा लोन में निवेश करना फायदेमंद है, लेकिन मौजूदा कर नियमों ने डेब्ट फंड में निवेश के आकर्षण को कम कर दिया है और सरकार डेब्ट फंड में दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर 12.5% कर लगा सकती है, जो वर्तमान में अन्य परिसंपत्तियों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर लागू होता है।
इससे हाई इनकम ग्रुप के लोगों की डेब्ट फंड में निवेश करने की दिलचस्पी बढ़ेगी। वर्तमान में, नई कर व्यवस्था 15 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय पर 30% कर लगाती है, जबकि पुरानी कर व्यवस्था में, 10 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय पर 30% कर लगाया जाता है और इससे अधिक कमाने वाले लोग डेब्ट फंड में निवेश नहीं करना चाहते हैं।
Disclaimer : म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में निवेश जोखिम पर आधारित होता है। शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें। hindi.Maharashtranama.com किसी भी वित्तीय नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।