Tax on Gold Investment | सोने पर भी Tax का बोझ, देखे कि किस तरह के Tax का भुगतान करना होगा

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Tax on Gold Investment | त्योहारी सीजन हो या शादियों का सीजन, भारतीय उपभोक्ता सोने की खरीदारी को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। हाल के दिनों में डिजिटल गोल्ड के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। हालांकि, डिजिटल गोल्ड पर टैक्स गणित अभी भी कई लोगों को पता नहीं है। फिजिकल गोल्ड की तरह डिजिटल गोल्ड पर भी कई तरह के टैक्स लगते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो सोना डिजिटल हो या फिजिकल, दोनों पर आपको टैक्स देना होगा।

कैपिटल गेन टैक्स
तीन साल के भीतर डिजिटल वॉल्ट में रखे डिजिटल गोल्ड को बेचकर होने वाले मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स के तौर पर गिना जाता है। इन मुनाफे की गणना आपकी कुल आय में की जाती है और आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है। हालांकि, तीन साल बाद डिजिटल गोल्ड की बिक्री को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है। इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद इस पर 20 फीसदी टैक्स लगता है।

सोने की खरीद पर जीएसटी
दूसरी ओर डिजिटल सोने की खरीद पर 3 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में आपको उसी समय जीएसटी का भुगतान करना होगा, जिस समय आपने गूगल पे, पेटीएम और फोनपे आदि के जरिए डिजिटल गोल्ड खरीदा है। डिजिटल सोने को आभूषणों में बदलने के लिए मेकिंग चार्ज और डिस्ट्रीब्यूशन चार्ज लगाया जाता है।

फिजिकल सोने पर टैक्स
भौतिक सोना आभूषण या बिस्कुट के रूप में खरीदा जाता है। इसके अलावा कई लोग सोने के सिक्के खरीदना भी पसंद करते हैं। सोने के सिक्के आमतौर पर 5 या 10 ग्राम की सीमा में खरीदे जाते हैं। सभी प्रकार के भौतिक सोने पर एक हॉलमार्क चिह्न होता है। ऐसे में सोने की खरीद पर इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक फिजिकल गोल्ड पर कैपिटल गेंस टैक्स लागू होता है।

पूंजीगत लाभ पर लाभ के आधार पर कर लगाया जाता है, चाहे वह दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ हो या अल्पकालिक पूंजीगत लाभ। यदि आप बिक्री की तारीख से पहले 36 महीने से अधिक समय तक सोना रखते हैं तो इसकी गणना दीर्घकालिक लाभ में की जाती है। इसलिए इस अवधि से कम होने पर भी इसे अल्पकालिक कर लाभ कहा जाता है। इस तरह के मुनाफे पर 20% और 4% पर कर लगाया जाता है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स
रिजर्व बैंक भारत सरकार की ओर से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2015 में लॉन्च की गई थी जबकि इसे सोने में निवेश के लिए सुरक्षित विकल्प माना जाता है। गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी अवधि 8 साल होती है और मैच्योरिटी तक कैपिटल गेंस पर कोई टैक्स नहीं देना होता है।

निवेशक पांच साल बाद सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को प्री-मेच्योर कर सकते हैं। अगर बॉन्ड 5 से 8 साल के बीच बेचे जाते हैं तो लाभ को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ माना जाएगा। इसलिए इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद इस पर 20 फीसदी टैक्स लगेगा। इसके अलावा बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में रहते हुए स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किया जा सकता है। होल्डिंग अवधि के अनुसार इस पर दीर्घकालिक और अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर लागू होता है।

कागजी सोने पर टैक्स
डिजिटल गोल्ड और फिजिकल गोल्ड के अलावा गोल्ड में निवेश का एक और विकल्प पेपर गोल्ड है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को छोड़कर गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड की यूनिट्स को पूरा करने या बेचने पर उसी तरह टैक्स लगता है, जैसे वास्तविक गोल्ड पर।

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News Title: Tax on Gold Investment details on 8 MARCH 2023.

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