Paperless Home Loan | आने वाले दिनों में होम बायर्स के लिए होम लोन की प्रक्रिया और आसान हो जाएगी। फिलहाल होम लोन की प्रक्रिया को पेपरलेस करने की तैयारी चल रही है। इस प्रक्रिया के शुरू होने के बाद होम लोन लेना आसान हो जाएगा और लोन जल्दी मिल जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने ऋणों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। होम लोन की प्रक्रिया डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर जानकारी दी कि होम लोन को डिजिटल श्रेणी के तहत लाने की अनुमति दी गई है और इस पर तेजी से काम चल रहा है।
होम लोन की डिजिटल प्रक्रिया
एनईएसएल बैंकों को होम लोन डिजिटल प्रक्रिया उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहा है। नेशनल ई-गवर्नेंस सर्विस (एनईएसएल) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी देव ज्योति रॉय चौधरी ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन बैंकिंग टेक्नोलॉजीज के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बैंकों का मानना है कि ऋण की डिजिटल प्रोसेसिंग से कर्जदारों की संख्या बढ़ेगी।
एसबीआई के मोबाइल ऐप योनो ऐप की मदद से लोगों को चंद क्लिक में लोन मिल जाता है। इस ऐप के माध्यम से 65,000 करोड़ रुपये तक के ऋण उपलब्ध कराए गए हैं। हमें उम्मीद है कि इस साल यह आंकड़ा 1 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा। एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि इस ऐप की मदद से ग्राहकों को कार लोन, गोल्ड लोन और होम लोन के लिए बैंक जाए बिना ऑनलाइन मंजूरी मिल जाती है।
पेपरलेस लोन के क्या फायदे हैं?
बैंक ऋण प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण डेटा की उपलब्धता और क्रेडिट स्कोर जैसी चीजों पर भी निर्भर करता है। इन सभी जानकारियों की मदद से क्रेडिट प्रोफाइल बनाने में मदद मिलेगी। इस संदर्भ में बैंक ऑफ बड़ौदा के एमडी और सीईओ संजीव चड्ढा ने कहा कि पिछले तीन साल में कर्मचारियों की संख्या स्थिर रही है, बैंक का कारोबार 30 से 35 फीसदी बढ़ा है, जबकि बैंक शाखा नेटवर्क में 15 फीसदी की गिरावट आई है।
आईडीएफसी फर्स्ट के एमडी और सीईओ वी वैद्यनाथन ने कहा कि डिजिटल बैंकिंग न केवल कर्मचारियों पर निर्भरता कम कर रही है, बल्कि बैंकिंग धोखाधड़ी को कम करने में भी मदद कर रही है। लोन के दस्तावेजीकरण की वजह से लोगों को बैंकों की मार झेलनी पड़ती है। प्रलेखन शुल्क का भुगतान करना होगा। लोन के लिए प्रोसेसिंग फीस देनी होती है। लोन की प्रक्रिया डिजिटल होने पर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, बैंक स्टेटमेंट आदि में हेरफेर को रोका जा सकता है। ऋण वितरण की प्रक्रिया पारदर्शी होगी। बैंक हमेशा लोन पोर्टफोलियो की निगरानी कर सकते हैं।
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