
My EPF Money |कर्मचारी भविष्य निधि संगठन भारत में संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों के भविष्य को लेकर चिंतित है। पीएफ अकाउंट में आने वाले पैसों का हिसाब-किताब रखना भी इनका काम है। हालांकि, स्पाइसजेट ने ढाई साल से 11,581 कर्मचारियों का पैसा पीएफ फंड में जमा नहीं कराया है। EPFO ने अब स्पाइसजेट से जवाब मांगा है। संगठित क्षेत्र में काम करने वाली किसी भी कंपनी के लिए अपने कर्मचारियों की ओर से काटे गए पीएफ का पैसा हर महीने EPFO के पास जमा करना अनिवार्य है। हालांकि, स्पाइसजेट ने पैसा नहीं जुटाया। ऐसी स्थिति में कौन जिम्मेदार है, EPFO या स्पाइसजेट? यही सवाल है।
पहली, कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952, दूसरी, कर्मचारी पेंशन योजना 1995 और तीसरी, 1976 में कर्मचारी जमा लिंक्ड बीमा योजना। देश भर में संगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए इन योजनाओं के लिए संगठन के 147 कार्यालय हैं। EPFO श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है। इन कार्यालयों में काम करने वाले पीएफ कमिश्नर की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि कर्मचारियों का पैसा समय पर जमा हो और समय पर मिले। स्पाइसजेट मामले में मुंबई के ठाणे स्थित EPFO ऑफिस ने कंपनी को लगातार नोटिस जारी किए, लेकिन कंपनी ने पैसा जमा नहीं कराया।
पीएफ के पैसे के लिए कंपनी कितनी जिम्मेदार?
पीएफ फंड की समस्याओं के विशेषज्ञ चार्टर्ड अकाउंटेंट राजीव कुमार ने कहा, ‘अगर कंपनी पीएफ जमा नहीं करती है तो उसके नियम सख्त हैं। देरी करने पर भी कंपनी को जुर्माना देना पड़ता है। आपको पैसे के साथ-साथ ब्याज भी देना होगा। इसलिए अगर कोई कंपनी समय पर पीएफ जमा नहीं करती है तो आप ऑनलाइन या ऑफलाइन शिकायत कर सकते हैं। सबसे पहले ईपीएफओ epfigms.gov.in की आधिकारिक वेबसाइट पर शिकायत करें।
EPFO किसी कंपनी को कब नोटिस भेजता है? My EPF Money
कुमार के मुताबिक, अगर कंपनी ने पीएफ का पैसा नहीं चुकाया है और वह दिवालिया हो जाती है तो दिवाला कानून के तहत कंपनी की संपत्ति कुर्क कर EPFO में पैसा जमा करने का प्रावधान है। अगर आप EPFO की शिकायत करते हैं तो आपको पीएफ अकाउंट के साथ सैलरी स्लिप, पीएफ अकाउंट नंबर, कंपनी का नाम और जन्मतिथि देनी होगी।
अधिकारियों ने क्या कहा?
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी ने बताया, ‘कर्मचारी के पीएफ में डिफॉल्ट होने पर कंपनी को ईपीएफओ की धारा 4बी के तहत नुकसान और धारा 7क्यू के तहत ब्याज चुकाना अनिवार्य है। यदि दो माह से कम समय की चूक होती है तो 5 प्रतिशत क्षति, दो से चार माह के लिए 10 प्रतिशत, चार से छह माह के लिए 15% और छह माह से अधिक समय तक 25% क्षति होती है। मुआवजा 100% से अधिक नहीं है। इसके अलावा कंपनी कर्मचारियों को सालाना 12% ब्याज भी देगी।
ईपीएफओ, सरकार कर्मचारियों के पैसे पर ब्याज देती है। कई बार कंपनियां पीएफ तो काट लेती हैं, लेकिन खाते में जमा नहीं करातीं। स्पाइसजेट ने अपने कर्मचारियों के साथ भी ऐसा ही किया है। इस समय देश में 29 करोड़ 88 लाख पीएफ खाते हैं।
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