Birth Certificate | नए नियम 1 अक्टूबर से लागू होंगे। हम में से हर एक के लिए इस नियम को समझना महत्वपूर्ण है। 1 अक्टूबर से जन्म प्रमाण पत्र का उपयोग एकल दस्तावेज के रूप में किया जाएगा। केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र में इस संबंध में एक विधेयक पारित किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी किया।
एक बार यह नियम लागू हो जाने के बाद अन्य दस्तावेजों की जरूरत नहीं होगी। यानी अगर आप स्कूल-कॉलेजों में एडमिशन लेना चाहते हैं, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट या आधार कार्ड तो ये सारे काम अब बर्थ सर्टिफिकेट पर कर सकते हैं। नतीजतन, अब कई दस्तावेज दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी। सबसे अहम बदलाव यह है कि बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र माता-पिता के आधार कार्ड से लिंक होगा।
अस्पताल से लेकर लगभग सभी सरकारी कार्यालयों में डिजिटल डाटा उपलब्ध होगा। सरकार जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड रखने के लिए एक डेटाबेस बनाएगी। संसद के मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। जन्म और मृत्यु अधिनियम, 2023 को लोकसभा ने 1 अगस्त को और राज्यसभा ने 7 अगस्त को पारित किया था।
नए नियम में क्या है?
नए नियमों के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति की मौत अस्पताल में होती है, तो अस्पताल उस व्यक्ति के परिवार को मृत्यु प्रमाण पत्र देगा। अगर किसी व्यक्ति की मौत अस्पताल के बाहर यानी घर पर या किसी जगह पर होती है तो उस व्यक्ति का इलाज करने वाला डॉक्टर डेथ सर्टिफिकेट देगा।
रजिस्ट्रार जन्म और मृत्यु का नि: शुल्क पंजीकरण करेगा और सात दिनों के भीतर मृतक के परिवार को एक प्रमाण पत्र जारी करेगा। अगर कोई रजिस्ट्रार के काम की शिकायत करना चाहता है तो उसे 30 दिन के भीतर अपील दायर करनी होगी। रजिस्ट्रार को 90 दिनों के भीतर जवाब देना होगा।
इसके क्या लाभ हैं?
मृत्यु और जन्म रिकॉर्ड को सीधे मतदाता सूची से जोड़ा जाएगा। इसका फायदा यह है कि जब कोई व्यक्ति 18 साल का हो जाएगा तो उसका नाम अपने आप वोटर लिस्ट में शामिल हो जाएगा। वहीं, जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो इसकी जानकारी चुनाव आयोग तक पहुंचती है। इसके बाद उसका नाम स्वत: ही सूची से हटा दिया जाएगा।
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