Income Tax Slab | केंद्रीय बजट 1 फरवरी, 2023 को पेश किया जाना है और करदाताओं के लिए पहले से ही एक अच्छी खबर है। फिलहाल 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई आयकर नहीं देना होता है। लेकिन अब सरकार इस सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की योजना बना रही है। यानी अगर आपकी सालाना इनकम 5 लाख रुपये तक है तो आपको इनकम टैक्स नहीं देना होगा।
इस संबंध में आगामी बजट में इसकी घोषणा की जा सकती है। यह विशेष मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा। देश में साल 2024 में आम चुनाव होने वाले हैं। इसीलिए माना जा रहा है कि मोदी सरकार अपने आखिरी पूर्ण बजट में करदाताओं को राहत दे सकती है। इससे पहले पर्सनल टैक्स छूट की सीमा में आखिरी बार बदलाव 2014 में किया गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का पहला बजट पेश करते हुए इसे 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करने की घोषणा की थी।
सरकारी सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार दो साल पुरानी कर व्यवस्था में व्यक्तिगत कर छूट की सीमा बढ़ाने की योजना बना रही है। अगर ऐसा होता है तो इसे 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है। अधिकारियों का कहना है कि इससे करदाताओं को राहत मिलेगी और निवेश के लिए उनके हाथ में अधिक पैसा आएगा। सरकार ने दो साल पहले वैकल्पिक कर प्रणाली की घोषणा की थी। लेकिन उसे ज्यादा दिलचस्पी नहीं मिली। यही कारण है कि सरकार लोकप्रिय होने के लिए इसे बदलने की तैयारी कर रही है।
पुरानी और नई कर संरचना
पुरानी टैक्स व्यवस्था की बात करें तो टैक्सपेयर्स के पास सेक्शन 80सी और 80डी के तहत टैक्स सेविंग का विकल्प होता है। हालांकि नई व्यवस्था में इस तरह की कई रियायतों को खत्म कर दिया गया है। यही कारण है कि केवल 10 से 12 करदाताओं ने वैकल्पिक कर प्रणाली को अपनाया है। इसमें 2.5 लाख रुपये तक का कोई टैक्स नहीं लगता है। 2.5 लाख से 5 लाख तक 5 फीसदी, 5 से 7.5 लाख तक 10 फीसदी, 7.5 लाख से 10 लाख तक 15 फीसदी, 10 से 12.5 लाख तक 20 फीसदी, 12.5 लाख से 15 लाख तक 25 फीसदी और 15 लाख से ज्यादा 30 फीसदी सालाना आय पर टैक्स देना पड़ता है।
सूत्रों ने कहा कि नई कर प्रणाली में सुधार के लिए संबंधित विभागों से सुझाव मांगे गए हैं। एक अधिकारी ने कहा कि करों पर बजट चर्चा अगले सप्ताह शुरू होगी और नई कर व्यवस्था में बदलाव की संभावना पर चर्चा होगी। यह भी देखना होगा कि इसका राजस्व पर क्या असर पड़ेगा और क्या इसकी गुंजाइश है।
इसके लिए कुछ प्रारंभिक आकलन किए गए हैं और आगे भ्रम की स्थिति पैदा होने की आशंका है। इतना ही नहीं, पर्सनल इनकम टैक्स में बदलाव पर नई और पुरानी दोनों व्यवस्थाओं में विचार किया जा सकता है। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में वैकल्पिक कर व्यवस्था की घोषणा की गई जिसमें कर की दरें कम रखी गईं लेकिन कई तरह की छूटों को समाप्त कर दिया गया।
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