Income Tax Return | अगले कुछ दिनों में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का सीजन शुरू हो जाएगा। हर भारतीय की जिम्मेदारी है कि वह हर वित्तीय वर्ष में सरकार को टैक्स दे, जिससे न सिर्फ देश की आय बढ़े बल्कि टैक्सपेयर्स को भी फायदा हो। वहीं टैक्स नहीं देने पर ब्याज और जुर्माने के अलावा कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। आइए जानते हैं टैक्स रिटर्न फाइल न करने के दुष्परिणाम।
भारत में दो तरह की टैक्स प्रणालियाँ हैं, पुरानी और नई। हर किसी का टैक्स स्लैब अलग होता है और नियम अलग। कोई व्यक्ति अपनी सालाना आय के हिसाब से आईटीआर फाइल करने के लिए टैक्स सिस्टम का विकल्प चुन सकता है।
पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब
* 2.5 लाख रुपये तक: जीरो
* 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये: 5%
* 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये: 20%
* 10 लाख रुपये से अधिक: 30%
नई कर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब
* 3 लाख रुपये तक: जीरो
* 3 लाख रुपये से 7 लाख रुपये: 5%
* 7 लाख रुपये से 10 लाख रुपये: 10%
* 10 लाख रुपये से 12 लाख रुपये: 15%
* 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये: 20%
व्यक्तिगत आय पर मानक कटौती सीमा 75,000 रुपये है।
देर से आईटीआर फाइलिंग:
आयकर रिटर्न की देर से फाइलिंग आयकर की धारा 234F के तहत जुर्माना आकर्षित करती है। इसके तहत 5 लाख रुपये से अधिक आय होने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना देना होगा, जबकि 5 लाख रुपये तक की आय वालों को 1,000 रुपये तक का जुर्माना देना होगा।
ब्याज:
आयकर अधिनियम की धारा 234A के तहत, कर की बकाया राशि पर ब्याज लगाया जाता है। रिटर्न फाइल करने में देरी के मामले में आयकर विभाग 1% प्रति माह की दर से ब्याज लेता है। इसी तरह धारा 234बी के तहत अग्रिम कर पर 1% प्रतिमाह की दर से ब्याज लगेगा। साथ ही सेक्शन 234A के तहत अगर कोई एडवांस टैक्स की किस्त समय पर नहीं भरता है तो उस पर 1% प्रति महीने की दर से ब्याज लगता है.
आयकर नोटिस:
आयकर अधिनियम की धारा 156 के तहत, आयकर विभाग करदाता से कर, जुर्माना या ब्याज की मांग करता है। इसे नजरअंदाज करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
दंडात्मक कार्रवाई:
आयकर अधिनियम की धारा 270A, 276CC में जानबूझकर या अनजाने में कर चोरी के लिये कड़ी सजा का प्रावधान है। धारा 270A के तहत आय के बारे में गलत सूचना पर देय कर का 50 से 200% तक जुर्माना लगेगा। धारा 276CC के तहत जानबूझकर कर चोरी करने पर जुर्माने के साथ तीन महीने से लेकर सात साल तक की कैद हो सकती है।
वहीं, इसके तहत अगर आयकर विभाग उचित समझे तो बकाया टैक्स की रकम वसूलने के लिए आपकी प्रॉपर्टी जब्त की जा सकती है और असल टैक्स की रकम आपकी सैलरी से काटी जा सकती है। इसके अलावा, करों का भुगतान करने या न करने में देरी भी आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करेगी। कई गंभीर मामलों में आपका पासपोर्ट रद्द भी किया जा सकता है।
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