Star Health Insurance | हेल्थ इंश्योरेंस आज के समय में हर किसी की जरूरत बन गया है। कोरोना संक्रमण के बाद हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। हालांकि, ज्यादातर कंपनियां अभी भी नियमों का हवाला देते हुए क्लेम को खारिज कर देती हैं, इसलिए बीमाधारकों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ऐसा ही एक नियम है 24 घंटे अस्पताल में भर्ती होना, जिसके बिना आप कोई मेडिकल क्लेम नहीं कर सकते। अब बीमा नियामक प्राधिकरण ने इस दिशा में बड़ा बदलाव करते हुए ग्राहकों को तोहफा दिया है।
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने कहा है कि मेडिकल इंश्योरेंस के लिए अब क्लेम पाने के लिए 24 घंटे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होगी। इंश्योरेंस कंपनियों को इसके लिए अलग से प्रावधान करना होगा।
इस क्लेम को डेकेयर ट्रीटमेंट के तहत लिया जा सकता है और आप बिना 24 घंटे एडमिशन के भी अपनी इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम कर सकते हैं। इस नियम से बीमाधारकों का काफी समय बचेगा और बीमा क्लेम करना आसान हो जाएगा।
इंश्योरेंस क्लेम करने का नियम बदला
बीमा नियामक IRDAI ने अस्पताल में भर्ती होने की परिभाषा भी स्पष्ट की है। IRDAI ने कहा कि बीमित मरीज को दावे के लिए अस्पताल की निगरानी में कम से कम 24 घंटे बिताने होंगे, जिसमें कुछ अपवाद शामिल हैं। नए शब्द में एक डेकेयर जोड़ा गया है, जिसमें उन उपचारों को शामिल किया जाएगा जिनमें 24 घंटे के भीतर किसी भी सर्जरी के पूरा होने या संज्ञाहरण के उपयोग जैसी स्थितियां शामिल हैं। ऐसे में 24 घंटे अस्पताल में भर्ती होना जरूरी नहीं है।
किन उपचारों को कवर किया जाएगा
IRDAI के नए नियम के तहत कुछ खास तरह के इलाज को शामिल किया गया है। इसके तहत एनेस्थीसिया के किसी भी इलाज के लिए बिना 24 घंटे अस्पताल में बिताए दावा किया जा सकता है। इस तरह के उपचार में टॉन्सिल ऑपरेशन, कीमोथेरेपी, मोतिबिंदु ऑपरेशन, साइनस ऑपरेशन, रेडियोथेरेपी, हेमोडायलिसिस, कोरोनरी एंजियोग्राफी, त्वचा प्रत्यारोपण और घुटने का ऑपरेशन शामिल होगा। इसका मतलब है कि बीमित व्यक्ति को अब इस तरह के उपचार के लिए 24 घंटे भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है।
नए नियमों के नुकसान क्या हैं?
डेकेयर ट्रीटमेंट के तहत इंश्योरेंस कंपनियां आपको बिना 24 घंटे अस्पताल में बिताए क्लेम दे देंगी, लेकिन बीमित व्यक्ति को कुछ नुकसान भी उठाना पड़ेगा। इस नियम के मुताबिक डॉक्टर की कंसल्टेशन फीस, टेस्ट और एग्जामिनेशन का खर्च आदि शामिल नहीं होगा। इस श्रेणी में बाह्य रोगी देखभाल को भी शामिल किया जाएगा, और बीमित व्यक्ति कुछ लागतों को काटने के बाद शेष राशि का आसानी से दावा कर सकता है। हाल ही में गुजरात की कंस्यूमर कोर्ट ने इसी तरह के एक मामले में बीमा कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया था, जिसके बाद IRDAI ने इस संबंध में एक नियम बनाया है।
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