Home Loan EMI | भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को होम, ऑटो और पर्सनल लोन लेने वाले कर्जदारों के लिए अच्छी खबर दी है। इन कर्जदारों में तरल ब्याज दर पर कर्ज लेने वालों को जल्द ही एक निश्चित ब्याज दर पर अपना कर्ज चुकाने का विकल्प दिया जाएगा। चूंकि इन तीन प्रकार के लोन की तरलता दरें अधिक हैं, इसलिए उधारकर्ताओं को एक निश्चित ब्याज दर पर लोन चुकाने में सक्षम होने से लाभ हो सकता है। बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह घोषणा की।
दास ने इन लोन के बारे में अपनी टिप्पणी की। अक्सर, बैंकों द्वारा तरल ब्याज लोन के लिए पुनर्भुगतान अवधि अनावश्यक रूप से बढ़ा दी जाती है। ऐसा करने पर यह पाया जाता है कि बैंक या वित्तीय संस्थान संबंधित उधारदाताओं से परामर्श नहीं करते हैं या उनसे संपर्क नहीं करते हैं। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा की गई अवलोकन ता्मक टिप्पणी से यह स्पष्ट है।
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए, बैंकों, वित्तीय संस्थानों या नियमित संस्थाओं को उधारकर्ताओं के लिए विशिष्ट नियम तैयार करने चाहिए और इस तरह उधारकर्ताओं की समस्याओं को हल करना चाहिए। नियमों का उद्देश्य लोन दाता को यह स्पष्ट करना है कि क्या वित्तीय संस्थान द्वारा लोन की अवधि की समीक्षा की जानी है। दास ने यह भी बताया कि वित्तीय संस्थान के स्तर पर लोन पर कोई भी बदलाव करने से पहले लोन दाता को विश्वास में लेना आवश्यक है।
रेपो रेट में लगातार तीसरी बार नहीं हुआ कोई बदलाव
रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर काबू पाने के प्रयासों के तहत रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा है। यह लगातार तीसरा मौका है जब चालू वित्त वर्ष में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। दास ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति को कम करने के लिए कड़े फैसले लिए जाएंगे क्योंकि मुद्रास्फीति अभी भी रिजर्व बैंक की 4% की सहनीय मुद्रास्फीति से अधिक है।
लोन की EMI पर क्या होगा असर?
RBI गवर्नर ने ऐलान किया कि ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है और रेपो रेट 6.5% पर स्थिर है। यह निर्णय उधारकर्ताओं के लिए सकारात्मक होगा क्योंकि यह उधारकर्ताओं को स्थिरता और राहत प्रदान करेगा। यह EMI भुगतान करने वालों के लिए एक राहत है जो दो साल में 20% बढ़ गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मौजूदा फ्लोटिंग रेट्स इसके ऊपर बने रहने चाहिए।
FD निवेश पर क्या होगा असर?
एक तरफ ब्याज दरों में बढ़ोतरी न होने से कर्जदारों को राहत मिली है, वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश कर ज्यादा ब्याज दर की उम्मीद करने वालों को निराशा हाथ लगी है। मौजूदा रेपो रेट ग्रोथ साइकल के पीक पर है और महंगाई के काबू में आने के बाद आरबीआई रेपो रेट में फिर से कटौती कर सकता है। ऐसे में एफडी पर मिलने वाला ब्याज कम हो जाएगा। इसलिए जहां रेपो रेट बढ़ोतरी का चक्र लगभग खत्म हो चुका है, उस पर FD की ब्याज दरों पर ताला लगा देना चाहिए।
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